Friday, November 23, 2007

मेने तों जाने किसकी तलाश में
सारा जीवन लगा दिया
हाथ बढ़ा कर
आसमन छू कर दिखा दिया
पर आसमान तक पहुँचने वाले
ये हाथ मेरे
घर की चार दिवारी को छू ही न सके
हम खुशी ढुंढते रहे बेगानो में
मगर अपनों में खुशी पा ही न सके,
और जाने क्यों मेने खुशियों से
ही अपना दमन जला लिया
तेरे प्यार के रोशन च़रागों से,
ज़िन्दगी का अँधेरा मिटा लूँगा,
ज़हमतें आये चाहे जितनी राहों में,
ज़हमतें मैं उठा लूँगा ।

मेरे दिलो-दिमाग पर नक्श
तेरे प्यार का रहेगा सदा,
चश्मा-ए-खूँ मे भी तेरी
खातिर शौक से नहा लूँगा ।।

खुशनसीबी समझूँ अपनी या समझूँ
तेरी रहनुमाई,
तूने मोहब्बत की मुझसे
तेरी उल्फ़त में ये जहाँ लुटा लूँगा ।।

मेरे लफ्ज़ों मे सजे रहेगें सदा
अल्फाज़ तेरे नाम के,
गर मौत भी भेज दी दर पर तूने,
हंस के गले लगा लूँगा ।।

जुस्तज़ू तेरी रहेगी हर लम्हा,
मेरे इस वज़ूद को
तुझसे मिलने की चाह में
कदम तूफाँ में भी चला लूँगा ।।