tag:blogger.com,1999:blog-58484544661666024742024-03-08T02:42:15.809-08:00यादेंअधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.comBlogger135125tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-58742408751124084592016-09-22T10:10:00.002-07:002016-09-22T10:10:09.389-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
सुन्दर सुर सजाने को साज बनाता हूँ<br />
नौसिखिये परिंदों को बाज बनाता हूँ.<br />
चुपचाप सुनता हूँ शिकायतें सबकी,<br />
तब दुनिया बदलने की आवाज बनाता हूँ.<br />
समंदर तो परखता है हौसले कश्तियो के,<br />
और मैं डूबती कश्तियो को जहाज बनाता हूँ.<br />
बनाए चाहे चांद पर कोई बुर्ज ए खलीफा,<br />
अरे मैं तो कच्ची ईंटों से ही ताज बनाता हूँ...</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-20758109048756359652016-09-22T07:19:00.000-07:002016-09-22T07:19:03.118-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<br />
फलक की चाह मे, जमीं से दूर हुआ मैं<br />
अपने किए फै़सलों से ही मजबूर हुआ मैं<br />
मैं अपने घर का कभी इक रोशन चराग था<br />
सितारों की इस दुनिया में बेनूर हुआ मैं।<br />
<br /></div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-41600464235206260582016-09-02T10:21:00.003-07:002016-09-02T10:21:22.895-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
इस जमाने को फिर से अच्छा बना दे,<br />
हे प्रभु, हमें फिर से बच्चा बना दे।<br />
<br />
दिलों को मासूम, नीयतों को सच्चा बना दे,<br />
हे प्रभु, हमें फिर से बच्चा बना दे।<br />
<br />
सपनों मे उड़ना, सितारों को छूना,<br />
परियों के शहर का फिर से रस्ता बना दे,<br />
हे प्रभु, हमें फिर से बच्चा बना दे।</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-91902557052264057322016-09-01T10:43:00.001-07:002016-09-22T07:19:41.492-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जाने क्या ढूँढने खोला था<br />
उन बंद दरवाजों को,<br />
अरसा बीत गया सुने,<br />
उन धुंधली आवाजों को,<br />
यादों के सूखे बागों में,<br />
जैसे एक गुलाब खिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है........<br />
<br />
कांच के एक डिब्बे में कैद,<br />
खरोचों वाले कुछ कंचे,<br />
कुछ आज़ाद इमली के दाने,<br />
इधर उधर बिखरे हुए,<br />
मटके का इक चौकोर,<br />
लाल टुकड़ा,<br />
पड़ा बेकार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है......<br />
<br />
एक भूरे रंग की पुरानी कॉपी,<br />
नीली लकीरों वाली,<br />
कुछ बहे हुए नीले अक्षर<br />
उन पुराने भूरे पन्नों में,<br />
स्टील के जंग लगे, शार्पनर में,पेंसिल का,<br />
एक छोटा टुकड़ा गिरफ्तार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है...<br />
<br />
बदन पर मिट्टी लपेटे<br />
एक गेंद पड़ी है,<br />
लकड़ी का एक बल्ला<br />
भी है,<br />
जो नीचे से छिला<br />
छिला है,<br />
बचपन फिर से आकर<br />
मानो साकार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है.........<br />
<br />
एक के ऊपर एक पड़े,<br />
माचिस के कुछ खाली डिब्बे,<br />
बुना हुआ एक<br />
फटा वो लाल स्वेटर,<br />
जो अब नीला नीला है,<br />
पीला पड़ चुका झुर्रियों वाला<br />
एक अखबार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है.........<br />
<br />
गत्ते का एक चश्मा है,<br />
पीली प्लास्टिक वाला,<br />
चंद खाली लिफ़ाफ़े,<br />
बड़ी बड़ी डाक टिकिटों वाले,<br />
उन खाली पड़े लिफाफों में भी,<br />
छुपा हुआ एक इंतज़ार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है..........<br />
<br />
मेरे चार दिन रोने के बाद,<br />
पापा ने जो दी थी,<br />
वो रुकी हुई घड़ी,<br />
दादाजी की डायरी<br />
से चुराई गयी,<br />
वो सूखी स्याही<br />
वाला कलम,मिला है,<br />
दादी ने जो पहले जन्मदिन पे<br />
दिया था वो श्रृंगार<br />
मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है........<br />
<br />
कई बरस बीत गए<br />
आज यूँ महसूस हुआ,<br />
रिश्तों को निभाने की<br />
दौड़ में<br />
भूल गये थे जिसे,<br />
यूँ लगा जैसे वही बिछड़ा<br />
पुराना यार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है..........<br />
<br />
"आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
अपना पुराना इतवार मिला<br />
है....... !"</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-49344369049132455142016-09-01T10:43:00.000-07:002016-09-02T10:24:25.573-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जाने क्या ढूँढने खोला था<br />
उन बंद दरवाजों को,<br />
अरसा बीत गया सुने,<br />
उन धुंधली आवाजों को,<br />
यादों के सूखे बागों में,<br />
जैसे एक गुलाब खिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है........<br />
<br />
कांच के एक डिब्बे में कैद,<br />
खरोचों वाले कुछ कंचे,<br />
कुछ आज़ाद इमली के दाने,<br />
इधर उधर बिखरे हुए,<br />
मटके का इक चौकोर,<br />
लाल टुकड़ा,<br />
पड़ा बेकार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है......<br />
<br />
एक भूरे रंग की पुरानी कॉपी,<br />
नीली लकीरों वाली,<br />
कुछ बहे हुए नीले अक्षर<br />
उन पुराने भूरे पन्नों में,<br />
स्टील के जंग लगे, शार्पनर में,पेंसिल का,<br />
एक छोटा टुकड़ा गिरफ्तार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है...<br />
<br />
बदन पर मिट्टी लपेटे<br />
एक गेंद पड़ी है,<br />
लकड़ी का एक बल्ला<br />
भी है,<br />
जो नीचे से छिला<br />
छिला है,<br />
बचपन फिर से आकर<br />
मानो साकार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है.........<br />
<br />
एक के ऊपर एक पड़े,<br />
माचिस के कुछ खाली डिब्बे,<br />
बुना हुआ एक<br />
फटा वो लाल स्वेटर,<br />
जो अब नीला नीला है,<br />
पीला पड़ चुका झुर्रियों वाला<br />
एक अखबार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है.........<br />
<br />
गत्ते का एक चश्मा है,<br />
पीली प्लास्टिक वाला,<br />
चंद खाली लिफ़ाफ़े,<br />
बड़ी बड़ी डाक टिकिटों वाले,<br />
उन खाली पड़े लिफाफों में भी,<br />
छुपा हुआ एक इंतज़ार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है..........<br />
<br />
मेरे चार दिन रोने के बाद,<br />
पापा ने जो दी थी,<br />
वो रुकी हुई घड़ी,<br />
दादाजी की डायरी<br />
से चुराई गयी,<br />
वो सूखी स्याही<br />
वाला कलम,मिला है,<br />
दादी ने जो पहले जन्मदिन पे<br />
दिया था वो श्रृंगार<br />
मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है........<br />
<br />
कई बरस बीत गए<br />
आज यूँ महसूस हुआ,<br />
रिश्तों को निभाने की<br />
दौड़ में<br />
भूल गये थे जिसे,<br />
यूँ लगा जैसे वही बिछड़ा<br />
पुराना यार मिला है।<br />
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
पुराना इतवार मिला<br />
है..........<br />
<br />
"आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,<br />
अपना पुराना इतवार मिला<br />
है....... !"</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-85041017043073754432016-09-01T10:18:00.002-07:002016-09-01T10:18:23.240-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
क्या खूब कहा है-<br />
<br />
"आसमां में मत दूंढ अपने सपनो को,<br />
सपनो के लिए तो ज़मी जरूरी है,<br />
<br />
सब कुछ मिल जाए तो जीने का क्या मज़ा,<br />
जीने के लिये एक कमी भी जरूरी है".....🔅⚜</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-10714341001543120872016-09-01T09:47:00.002-07:002016-09-01T09:47:53.570-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
✨ *जीत पक्की है* ✨<br />
<br />
कुछ करना है, तो डटकर चल।<br />
थोड़ा दुनियां से हटकर चल।<br />
लीक पर तो सभी चल लेते है,<br />
कभी इतिहास को पलटकर चल।<br />
बिना काम के मुकाम कैसा?<br />
बिना मेहनत के, दाम कैसा?<br />
जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल<br />
तो राह में, राही आराम कैसा?<br />
अर्जुन सा, निशाना रख, मन में,<br />
ना कोई बहाना रख।<br />
जो लक्ष्य सामने है, <br />
बस उसी पे अपना ठिकाना रख,<br />
सोच मत, साकार कर,<br />
अपने कर्मो से प्यार कर।<br />
मिलेंगा तेरी मेहनत का फल,<br />
किसी और का ना इंतज़ार कर।<br />
जो चले थे अकेले<br />
उनके पीछे आज मेले हैं।<br />
जो करते रहे इंतज़ार उनकी<br />
जिंदगी में आज भी झमेले है!<br />
<br />
चलो एक कदम आगे बढ़ाएं</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-38122207722927676112016-09-01T09:46:00.001-07:002016-09-01T09:46:39.748-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जीत निश्चित हो तो,<br />
कायर भी जंग लड़ लेते है...<br />
बहादुर तो वो लोग है ,<br />
जो हार निश्चित हो फिर भी मैदान नहीं छोड़ते...</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-29342623289442402022016-09-01T09:45:00.002-07:002016-09-01T09:45:39.186-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
लहरों को शांत देख कर ये न समझना की समंदर में रवानी नहीं है..<br />
जब भी उठेंगे तूफान बन के उठेंगे, अभी उठने की ठानी नहीं है</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-63198939291016856532016-09-01T09:43:00.001-07:002016-09-01T09:43:54.833-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
"आज गुमनाम हूँ तो फासला रख रखा है सबने मुझसे.....<br />
<br />
कल जब मशहूर हो जाऊँ तो कोई रिश्ता मत निकाल लेना मुझसे...."</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-89980634862395562812016-08-16T12:35:00.003-07:002016-08-16T12:35:31.523-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
दुश्मन के खेमे में चल रही थी मेरे क़त्ल की साजिश,<br />
मैं पंहुचा तो वो बोले " यार तेरी उम्र बहुत लंबी है"।।</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-60481102828135710672016-08-16T12:35:00.001-07:002016-08-16T12:35:12.975-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
न करो जुर्रत....<br />
किसी के वक़्त पे हंसने की कभी....<br />
<br />
ये वक़्त है जनाब....<br />
चेहरे याद रखता है....</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-77289697936493239842016-08-16T12:34:00.001-07:002016-08-16T12:34:54.428-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
* आधुनिक सच *<br />
<br />
मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं<br />
तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं<br />
सुबह आठ बजे नौकरियों परजाते हैं<br />
रात ग्यारह तक ही वापिस आते हैं<br />
<br />
अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं<br />
अकेले रह कर वह कैरियर बनाते हैं<br />
कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं<br />
भीड़ में रहकर भी अकेले रह जाते हैं<br />
<br />
मोटे वेतन की नौकरी छोड़ नहीं पाते हैं<br />
अपने नन्हे मुन्ने को पाल नहीं पाते हैं<br />
फुल टाइम की मेड ऐजेंसी से लाते हैं<br />
उसी के जिम्मे वो बच्चा छोड़ जाते हैं<br />
<br />
परिवार को उनका बच्चा नहीं जानता है<br />
केवल आया'आंटी को ही पहचानता है<br />
दादा -दादी, नाना-नानी कौन होते है?<br />
अनजान है सबसे किसी को न मानता है<br />
<br />
आया ही नहलाती है आया ही खिलाती है<br />
टिफिन भी रोज़ रोज़ आया ही बनाती है<br />
यूनिफार्म पहना के स्कूल कैब में बिठाती है<br />
छुट्टी के बाद कैब से आया ही घर लाती है<br />
<br />
नींद जब आती है तो आया ही सुलाती है<br />
जैसी भी उसको आती है लोरी सुनाती है<br />
उसे सुलाने में अक्सर वो भी सो जाती है<br />
कभी जब मचलता है तो टीवी दिखाती है<br />
<br />
जो टीचर मैम बताती है वही वो मानता है<br />
देसी खाना छोड कर पीजा बर्गर खाता है<br />
वीक ऐन्ड पर मौल में पिकनिक मनाता है<br />
संडे की छुट्टी मौम-डैड के संग बिताता है<br />
<br />
वक्त नहीं रुकता है तेजी से गुजर जाता है<br />
वह स्कूल से निकल के कालेज में आता है<br />
कान्वेन्ट में पढ़ने पर इंडिया कहाँ भाता है<br />
आगे पढाई करने वह विदेश चला जाता है<br />
<br />
वहाँ नये दोस्त बनते हैं उनमें रम जाता है<br />
मां-बाप के पैसों से ही खर्चा चलाता है<br />
धीरे-धीरे वहीं की संस्कृति में रंग जाता है<br />
मौम डैड से रिश्ता पैसों का रह जाता है<br />
<br />
कुछ दिन में उसे काम वहीं मिल जाता है<br />
जीवन साथी शीघ्र ढूंढ वहीं बस जाता है<br />
माँ बाप ने जो देखा ख्वाब वो टूट जाता है<br />
बेटे के दिमाग में भी कैरियर रह जाता है<br />
<br />
बुढ़ापे में माँ-बाप अब अकेले रह जाते हैं<br />
जिनकी अनदेखी की उनसे आँखें चुराते हैं<br />
क्यों इतना कमाया ये सोच के पछताते हैं<br />
घुट घुट कर जीते हैं खुद से भी शरमाते हैं<br />
<br />
हाथ पैर ढीले हो जाते, चलने में दुख पाते हैं<br />
दाढ़- दाँत गिर जाते, मोटे चश्मे लग जाते हैं<br />
कमर भी झुक जाती, कान नहीं सुन पाते हैं<br />
वृद्धाश्रम में दाखिल हो, जिंदा ही मर जाते हैं<br />
<br />
सोचना की बच्चे अपने लिए पैदा कर रहे हो या विदेश की सेवा के लिए।<br />
<br />
बेटा एडिलेड में, बेटी है न्यूयार्क।<br />
ब्राईट बच्चों के लिए, हुआ बुढ़ापा डार्क।<br />
<br />
बेटा डालर में बंधा, सात समन्दर पार।<br />
चिता जलाने बाप की, गए पड़ोसी चार।<br />
<br />
ऑन लाईन पर हो गए, सारे लाड़ दुलार।<br />
दुनियां छोटी हो गई, रिश्ते हैं बीमार।<br />
<br />
बूढ़ा-बूढ़ी आँख में, भरते खारा नीर।<br />
हरिद्वार के घाट की, सिडनी में तकदीर।</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-88765554738444186602016-08-16T12:33:00.007-07:002016-08-16T12:33:59.723-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
। आदमी कीऔकात ।<br />
<br />
एक माचिस की तिल्ली,<br />
एक घी का लोटा,<br />
लकड़ियों के ढेर पे<br />
कुछ घण्टे में राख.....<br />
बस इतनी-सी है<br />
आदमी की औकात !!!!<br />
<br />
एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया ,<br />
अपनी सारी ज़िन्दगी ,<br />
परिवार के नाम कर गया।<br />
कहीं रोने की सुगबुगाहट ,<br />
तो कहीं फुसफुसाहट ,<br />
....अरे जल्दी ले जाओ<br />
कौन रोयेगा सारी रात...<br />
बस इतनी-सी है<br />
आदमी की औकात!!!!<br />
<br />
मरने के बाद नीचे देखा ,<br />
नज़ारे नज़र आ रहे थे,<br />
मेरी मौत पे .....<br />
कुछ लोग ज़बरदस्त,<br />
तो कुछ ज़बरदस्ती<br />
रो रहे थे।<br />
नहीं रहा.. ........चला गया..........<br />
चार दिन करेंगे बात.........<br />
बस इतनी-सी है<br />
आदमी की औकात!!!!!<br />
<br />
बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा ,<br />
सामने अगरबत्ती जलायेगा ,<br />
खुश्बुदार फूलों की माला होगी ......<br />
अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी.........<br />
बाद में उस तस्वीर पे ,<br />
जाले भी कौन करेगा साफ़...<br />
बस इतनी-सी है<br />
आदमी की औकात !!!!!!<br />
<br />
जिन्दगी भर ,<br />
मेरा- मेरा- मेरा किया....<br />
अपने लिए कम ,<br />
अपनों के लिए ज्यादा जीया ...<br />
कोई न देगा साथ...जायेगा खाली हाथ....<br />
क्या तिनका<br />
ले जाने की भी<br />
है हमारी औकात ???<br />
<br />
हम चिंतन करें .........<br />
क्या है हमारी औकात ???</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-559781150544910312016-08-16T12:33:00.005-07:002016-08-16T12:33:36.005-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
तेरे पास भी कम नहीं, मेरे पास भी बहुत हैं,<br />
ये परेशानियाँ आजकल फुरसत में बहुत हैं ……</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-73014820211816241792016-08-16T12:33:00.003-07:002016-08-16T12:33:19.657-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ।<br />
हासिल कहाँ नसीब से होती हैं।<br />
मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं।<br />
जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर अड़ी होती हैँ l</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-83994920585197493402016-08-16T12:33:00.001-07:002016-08-16T12:33:08.552-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
सुकून की एक रात भी, शायद नहीँ जिँदगी मेँ,<br />
ख्वाहिशोँ को सुलाओ तो,यादेँ जाग जाती है....!!</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-43269924623532268312016-08-16T12:32:00.007-07:002016-08-16T12:32:50.321-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
पसीने की स्याही से लिखते है जो अपने इरादों को,<br />
उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नही होते ।</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-76403641682320956322016-08-16T12:32:00.005-07:002016-08-16T12:32:34.832-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
समेट कर रखे ये कोरे पन्ने एक रोज<br />
बिखर जाएंगे …<br />
जिंदगी के मेरे किस्से खामोश रहकर<br />
भी बयां हो जाएंगे…</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-42012818558502543922016-08-16T12:32:00.003-07:002016-08-16T12:32:17.331-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
चौराहे पर चाय वाले ने हाथ में गिलास थमाते हुए पूछा......<br />
"चाय के साथ क्या लोगे साहब"?<br />
ज़ुबाँ पे लब्ज आते आते रह गए<br />
"पुराने यार मिलेंगे क्या"???<br />
<br />
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं अपना शहर छोड़ने को,<br />
वरना कौन अपनी गली मे जीना नहीं चाहता.....<br />
<br />
हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे,<br />
पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता ....।</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-73041528726691256602016-08-16T12:32:00.001-07:002016-08-16T12:32:03.303-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
सोचता हूँ कुछ दोस्तों पर मुकदमा कर दूँ...!<br />
इसी बहाने तारीखों पर मुलाक़ात तो होगी....</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-45306259529898620212016-08-16T12:31:00.005-07:002016-08-16T12:31:48.262-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
दर्द की बारिश में हम अकेले ही थे,<br />
जब बरसी खुशियाँ, ना जाने भीड़ कहाँ से आ गयी।</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-89799246841582127012016-08-16T12:31:00.003-07:002016-08-16T12:31:32.985-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ये लकीरें, ये नसीब, ये किस्मत सब फ़रेब के आईनें हैं,<br />
हाथों में तेरा हाथ होने से ही मुकम्मल ज़िंदगी के मायने हैं.</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-16989324016016809492016-08-16T12:31:00.001-07:002016-08-16T12:31:22.838-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
मालूम है कोई मोल नहीं मेरा,<br />
फिर भी, कुछ अनमोल लोगो से रिश्ता रखता हूँ...!</div>
अधर कुमार रस्तोगीhttp://www.blogger.com/profile/01050679968029613788noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5848454466166602474.post-14034643566819691912016-08-16T12:30:00.007-07:002016-08-16T12:30:55.959-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
काफी दिनों से<br />
कोई नया जख्म नहीं मिला...<br />
<br />
पता तो करो..<br />
"अपने" हैं कहां ????</div>
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