Friday, November 23, 2007

मेने तों जाने किसकी तलाश में
सारा जीवन लगा दिया
हाथ बढ़ा कर
आसमन छू कर दिखा दिया
पर आसमान तक पहुँचने वाले
ये हाथ मेरे
घर की चार दिवारी को छू ही न सके
हम खुशी ढुंढते रहे बेगानो में
मगर अपनों में खुशी पा ही न सके,
और जाने क्यों मेने खुशियों से
ही अपना दमन जला लिया

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