दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
~ LalChandFalak
ये सर्द रात, ये आवारगी, ये नींद का बोझ
हम अपने शहर मे होते तो घर गए होते
#उम्मीद_फ़ाज़ली
कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता,
कहीं जमीं तो कहीं आसमां नही मिलता ।
#उम्मीद_फ़ाज़ली
आसमानों से फ़रिश्ते जो उतारे जाएँ
वो भी इस दौर में सच बोलें तो मारे जाएँ
#उम्मीद_फ़ाज़ली
ऐ दोपहर की धूप बता क्या जवाब दूँ
दीवार पूछती है कि साया किधर गया
#उम्मीद_फ़ाज़ली
अब ये हंगामा-ए-दुनिया नहीं देखा जाता
रोज़ अपना ही तमाशा नहीं देखा जाता
#तारिक़_नईम
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
#बशीर_बद्र
शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ फ़रिश्तो अब तो सोने दो
कभी फ़ुर्सत में कर लेना हिसाब आहिस्ता आहिस्ता
#अमीर_मीनाई
साए लरज़ते रहते हैं शहरों की गलियों में
रहते थे इंसान जहाँ अब दहशत रहती है
~ अमजद इस्लाम अमजद
अंदर का ज़हर चूम लिया, धुल के आ गए
कितने शरीफ लोग थे सब खुल के आ गए।
~राहत इंदौरी
वक्त रहता नही कहीं टिक कर
इसकी आदत भी आदमी सी है।
शाम से आंख मे नमी सी है
आज फिर आपकी कमी सी है।
~Jagjit Singh
मेरी ख़्वाइश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जांऊ,
मां से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं।
~मुनव्वर राणा
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
आप से तुम, तुम से तू होने लगी
~ दाग दहलवी