Friday, February 12, 2016

चाँद अधूरा है

सुबह अधूरी है मौसम-ए-शाम अधूरा है
सूरज अधूरा है आसमान अधूरा है
सितारों के शहर में माँ तेरा ये चाँद अधूरा है|
ना पतंगे तीज की होंगी, ना झूलों के वो हिचकोले,
पत्थर के इस जंगल में, हर सावन अधूरा है|
मन अपना छोड़ आया हूँ मै अपने घर के आँगन में,
जो लेकर साथ आया हूँ वो सामान अधूरा है|
घने बरगद की छांव में वहां बेपरवाह गुजारे दिन
बचाये धुप से क्या कोई, यहाँ हर दामन अधूरा है|
कोपलें दो साथ लाया हूँ अपने घर की क्यारी की,
बिना माली के लेकिन ये मेरा बागान अधूरा है|
शिकन ना होती गर जो दिल ने ना यूं कहा होता,
रहे हमेशा बंद ये मुट्ठी, मेरा ये अरमान अधूरा है।
सुबह अधूरी है मौसम-ए-शाम अधूरा है
सूरज अधूरा है आसमान अधूरा है
सितारों के शहर में माँ तेरा ये चाँद अधूरा है|

No comments: