Friday, February 12, 2016

बसंत पंचमी

सरसों अपने यौवन पर मुस्कुराती है
पीली चादर खेतों मे लहलहाती है,
सर्द हवाऐं गर्म अहसास दे जाती है,
गुनगुनी धूप गालों को सहलाती है,
मीठे पीले चावल जब मां बनाती है,
ऐसे मेरे गांव मे बसंत पंचमी आती है।

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