सरसों अपने यौवन पर मुस्कुराती है
पीली चादर खेतों मे लहलहाती है,
सर्द हवाऐं गर्म अहसास दे जाती है,
गुनगुनी धूप गालों को सहलाती है,
मीठे पीले चावल जब मां बनाती है,
ऐसे मेरे गांव मे बसंत पंचमी आती है।
पीली चादर खेतों मे लहलहाती है,
सर्द हवाऐं गर्म अहसास दे जाती है,
गुनगुनी धूप गालों को सहलाती है,
मीठे पीले चावल जब मां बनाती है,
ऐसे मेरे गांव मे बसंत पंचमी आती है।
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