मै भी इस इंतजार में हूँ की , किस दिन मेरी जिन्दगी दर्द के समंदर से नहा कर बाहर निकलेगी और उस दिन में भी खुद को इस बेपनाह दर्द से बाहर पाकर अपनी जिंदगी की वास्तविक खूबसूरती को देख सकूँगा
एक नयी सुबह...............
कविता एक पहचान.............
यथार्थ के ठोस धरातल से जब भावनाओं की अविरल धारा फूटती है, तो मन-मस्तिष्क द्वारा उसकी संयत शब्दों में अभिव्यक्ति ही मेरी कविताओं की परिभाषा और उनका परिचय है।