Tuesday, February 23, 2016

ये  पेड़ ये पत्ते ये शाख़ाएँ भी परेशान हो जाएं,
अगर परिंदे भी हिन्दू मुस्लमान हो जाएं। ..... 
सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो जाएं,
न जाने कब नारियल हिन्दू औ खजूर मुस्लमान हो जाएं,..... 
न मस्जिद को जानते हैं, न शिवालों को जानते  हैं,
जो भूखे पेट होते हैं, वह सिर्फ निवाले जानते हैं..... 
मेरा यही अन्दाज ज़माने को खलता है,
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ कयं जलता है....... 
में अमन पसंद हूँ, मेरे शहर में दंगे रहने दो,
लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो... 

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