Friday, August 31, 2007

आंसुओं में ना खोजो

आंसुओं में ना खोजो तुम,
खुशियों का समंदर कहीँ,
खुशियाँ भी तो है बिछी,
राहों में तेरी वहीँ,

बेवफा तो ये ज़माना भी है,
बेवफा ये ज़िन्दगानी ठहरी,
छोड़ चले साथ कब वो,
किसी को भी मालूम नही,

चाह था उसे तुने दिल से,
करती क्यों है उम्मीद फिर,
वफ़ा के मिल जाने की,
बची कहॉ वफ़ा अब इस जमाने में,

क्या देगा वो तुझे यहाँ,
हुआ जो कंगाल जमाने में,
खुशिया हो या फिर वो दुःख,
चुने हैं सारे तुने खुद-बीए-खुद,

सुन लिया तुने हाले-दिल-उसका,
पी गयी हर एक आंसू अपने,
निकल बाहर दुःख के दरिया से,
उफान रह समंदर खुशियों का सामने तेरे,

ना मार तू खुद को औरों के लिए,
ना कर तौहीन उस जीवन की,
दिया खुदा ने तुझे ना किसी और के लिए,
दिया है तुझे हस उसमे जीने के लिए...

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