Sunday, September 30, 2007

एक अलसाए नींद से,
उठाने कि कोशिश करता हुआ,
अंगडाई लेते हुए,
आने को तयार,
झाँका जो जाकर बाहर,
खड़ा है एक नया वर्ष तैयार,
है कितना आतुर,
सोया था
जो वर्षों से बेकार,
आया है उसका उठने का मौसम इस बार,
बाहें पसारता,
आंखें मिल्मिलाता,
अंगडाई लेता
भागता अपनी निद्रा को,
कहता उससे ये बार बार,
गुजारा वक़्त बहुत है तेरे साथ,
अब जा तू किसी और के पास,
दुनिया करती इन्तेज़ार मेरा,
जान है मुझको अब उनके पास,
देख ए मेरी प्रियतम निद्रा,
पूरा विश्वा है कैसा तैयार,
पसारे बाहें अपने
लिए फूलो का हार ,
कैसे देखता राह मेरी,
स्वागत कराने को तैयार,
बोल तू कैसे तोडूं दिल में इनका,
जा तू अब दूर मुझसे,
जाना है मुझे अब इनके पास,
देना है मुझे वो सब कुछ,
देखते ये राह जिसकी बरसों से,
कर ना सका कुछ पहले इसके,
प्रेम में था सोया तेरे में साथ,
जाता हूँ में अब इनसे मिलाने,
देख कैसे देख रहे ये मेरी राह,
ना रोक तू मुझे अब,
करता हूँ में तुझसे प्यार,
पर होगा अब जान मुझे,
इन प्यारे लोगों के पास!!!

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