Sunday, September 30, 2007

मैं दुखी हूं यह कहते हैं खुशी की बात है।
अब अंधेरों की जबां पर रोशनी की बात है।
मुद्दतों पहले जुदा हम अपनी मर्जी से हुए
लग रहा है दिल को यूं जैसे अभी की बात है।
हमने जब भी दास्ताने शौक छेड़ी दोस्तों
हर किसी को लगा जैसे उसी की बात है॥
खामोशी ने किस लिए आवाज का पीछा किया
अहले दुनिया तुम ना समझोगे ये ऐसी बात है।
शहर में एक शख्स ऐसा है जो सच के साथ है।
ध्यान से क्यूं सुन रहे हो दिल्लगी की बात है॥
मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है
बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है
हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को
मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है
न चिडि़या की कमाई है न कारोबार है कोई
वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है
समझ पाई न दुनिया मेरी
अब तकजो सूली पर भी हंसना मुस्कुराना ढूंढ लेती है
उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का
वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है
जुनूं मंजिल का, राहों में बचाता है
भटकने सेमेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है ।

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