उस चंद सिक्कों से कहाँ सुकूं मिलता है,
वोह खजाना-इ-कुबेर फखत चाहता है,
कुछ गिने चुने फल नहीं पसंद उसको,
वो तो पूरा दरख़्त चाहता है,
उसको मेरी जुबान पर यकीन कब हैं,
वोह कोरे कागज़ पर मेरे दस्तखत चाहता है.
वोह खजाना-इ-कुबेर फखत चाहता है,
कुछ गिने चुने फल नहीं पसंद उसको,
वो तो पूरा दरख़्त चाहता है,
उसको मेरी जुबान पर यकीन कब हैं,
वोह कोरे कागज़ पर मेरे दस्तखत चाहता है.
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