दिल में चुपाओ तस्वीर को जितना…
कुछ छिपाता नही,
दिल तो है एक आइना,
दिखला देता है सब कुछ खोल कर,
चुराओ जितनी भी नज़रें जमाने से,
बचती नही कोई नज़र इस जमाने से..
जिन्दगी बचाने के जरूरत ही क्या है,
जिस दिन आएगी मिलने वोह हमसे…
उस दिन जिन्दगी खुद उठ जायेगी सामने उनके,
मर के दफ़न भी हो गए जो एक कब्र में,
उठ बैठेंगे कब्र से निकल कर उस दिन,
सामने जो होंगे मेरे वोह…
जिन्दगी भी जिंदा हो जायेगी उस दिन,
खेत लह लाएंगे चारों ओरे,
फूल खिलेंगे हर एक बाग़ में,
रोशन होगा जग ये सारा उस दिन,
गीत गायेंगी कोयल मधुर,
उठ बैठेंगे हम कब्र से निकल कर,
मिलने को आतुर हो उनसे,
कब्र भी ना रोक पायेगी उस दिन हमे,
जिन्दगी बचा कर करना है क्या
हम तो निकलेंगे कब्र से भी,
मिलने आएगी जिस दिन वोह हमसे…
Thursday, August 23, 2007
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