दीवाने थे वो,
जो चले गए…
बाहें खोली आँखें मूंदे,
मौत लगे जो भायावाह हमे,
बनायी प्रियतम दीवानों ने,
सर रखा गोदी में उसकी,
गले लगाया प्रियतम को,
अभिषेक किया जो प्रीतम ने,
चूमा माथा और सीना चौड़ा,
चले गए वो चले गए
हँसे हंसते गए वो वीर…
किया प्रेम टूट कर दीवानों ने,
दी आहुति प्राणों की,
आजादी को गले लगाने कू,
गले लगाया मौत को फिर,
प्रेम था महान उनका क्या खूब…
एक तरफ थी मौत खडी
दूजी ओरे थी आजादी रंगीन,
एक को था चुनना लेकिन,
आजादी या मौत खादी,
दोने ही थी प्रियतम हसीं,
चुनी आख़िर उन्होने एक,
लगाया मौत गले से अपने…
बना कर मौत को प्रियतम अपनी,
चोद चले वो प्रियतम एक,
आजादी थी प्यारी उनको,
दिल के थी वो कितने करीब
फिर भी छोड़ कर जाना था,
छोड़ चले वो दीवाने क्या खूब…
विडम्बना थी ये भी क्या खूब,
छोड़ गए वो प्रियतम एक,
जाने को एक प्रियतम साथ,
छोड़ गए वो आजादी यहाँ,
मौत को लगा गले वो वीर.
Thursday, August 23, 2007
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