Sunday, October 7, 2007

दिल की हालत बताते क्यों हो,
शब्दों को नीचा दिखाते क्यों हो,
तङपाने में रखा है क्या,
जीवन भी तो है इक तड़प,
इस आवाज़ में रखा है क्या,
दिलों की आवाज़ जो सुनो,
बहाने खोजते क्यों हो,
दिलों में उतरना चाहते जो हो...

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