Friday, February 19, 2016

मैं गिर न जाऊं कहीं, मुझको थोड़ा और सम्भालो तुम,
मैं प्यासा  ही रहा, दो बूँद हलक में और डालो तुम,
तुम पास हो मेरे, मुझको यकीन हमेशा से हैं,
पर दिल भरता नहीं, थोड़ा करीब और बुलालो तुम.

ये राहें मुश्किल तो हैं बहुत पर नामुमकिन नहीं ऐ  दोस्त,
बस मेरे साथ अपने भी कदम मिलो तुम,
इन् पग डंडियों के सारे कांटे चुन ही लेंगे हम,
बस ये ख्याल रखना, कोई फूल कहीं कुचल न डालो तुम.

मुझे जन्नत से काया वास्ता बस इतना ही काफी है,
की में तेरे कन्धों पे रखूँ अपना सर,
और मेरे हाथों में अपना हाथ डालो तुम. 

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