जिंदगी तू हंसी बड़ी दूर से नज़र आती हैं,
जितना पास जाओ उतना दूर नज़र आती हैं....
मुझे अपने दामन में जो चीज़ नहीं मिल पायी,
वह क्यों गैरों के पहलु में नज़र आती हैं,
तू चाहे जितना भी सितम कर मुझ पर,
मेरे दिल में अभी भी कुछ सब्र बाकी हैं,
मैंने कभी तुझसे कोई शिकवा नहीं किया ऐ जिंदगी,
फिर तुझे क्यों मुझ में ही कमी नज़र आती है,
तू मेरे ख़्वाबों को चाहे अलग कर दे मुझसे,
मेरी हक़ीक़त मेरे ख़्वाबों के करीब रहती है,
मुझे मालूम नहीं मुझसे तू चाहती क्या है,
तेरी तरफ से हर रोज़ नयी नयी मांग निकल आती है,
कभी बैठ मेरे साथ किसी शब-ए जिंदगी,
गम डुबो दे जनम में अपने
जब तक के सहर आती नहीं है.
जितना पास जाओ उतना दूर नज़र आती हैं....
मुझे अपने दामन में जो चीज़ नहीं मिल पायी,
वह क्यों गैरों के पहलु में नज़र आती हैं,
तू चाहे जितना भी सितम कर मुझ पर,
मेरे दिल में अभी भी कुछ सब्र बाकी हैं,
मैंने कभी तुझसे कोई शिकवा नहीं किया ऐ जिंदगी,
फिर तुझे क्यों मुझ में ही कमी नज़र आती है,
तू मेरे ख़्वाबों को चाहे अलग कर दे मुझसे,
मेरी हक़ीक़त मेरे ख़्वाबों के करीब रहती है,
मुझे मालूम नहीं मुझसे तू चाहती क्या है,
तेरी तरफ से हर रोज़ नयी नयी मांग निकल आती है,
कभी बैठ मेरे साथ किसी शब-ए जिंदगी,
गम डुबो दे जनम में अपने
जब तक के सहर आती नहीं है.
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