Friday, February 19, 2016

उस ठंडी ओस की महक ये हवाएं ले आएं शायद,
वह गुनगुनाती धुप की गर्माहट पहुंच जाए शायद,
उस कठोर पर्वत के पार कहीं घोंसला है मेरा,
शाम के ये बयार मेरा संदेशा ले जाये शायद. 

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