Friday, August 24, 2007

चाहत

हर पल तुझे ख्वाबों मे देखा,
अब हकीकत मे पाने कि चाहत है.

पास आकर तुम्हारे,
कुछ लम्हे चुराने कि चाहत है.

लगा के अपने सीने से तुम्हे,
यह जिन्दगी जीने कि चाहत है.

लेकर तुम्हे अपनी बाँहों मे,
यह जहाँ बदलने कि चाहत है.

ना जाने कितने आंसू बहे तेरे इंतज़ार मे,
पर अब तेरे संग मुस्कुराने कि चाहत है.

अपनी हर एक ख़ुशी तेरे नाम कर,
तेरे सारे गम अपनाने कि चाहत है.

छुप-छुप के तुझे देखा तो बहुत मैंने,
अब तेरी नजरो से नज़र मिलाने कि चाहत है.

तुम तो बस चुके हो इस दिल मे,
पर अब तेरे दिल मे धड़कने कि चाहत है.

मिटाकर फासले सभी,
दिल से दिल मिलाने कि चाहत है.

बहुत कुछ कह गया यह दिल मेरा,
बस अब कुछ तुमसे सुनने कि चाहत है.

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