सुबह के ये सुनहरी किरण,
एक पैगाम ले कर है आयी आज,
सीने से लग गया में उनके,
हो गया मदहोश में आज,
छू कर उन अधरों को,
जैसे बितायी हो लंबी वो रात,
किसी मधुशाला के बीच,
मदिरा तो दे ना पायी नशा वो,
पिलाया जो तुमने अधरों के जाम,
प्याले में उड़ेल कर,
शब्दों की मदिरा को,
रख दिया जो अधरों पर तुने,
नशा हुआ क्या है आज हमको,
लगाया जो सीने से आज,
दुनिया ने कहा है जो,
सर आंखों पर रखा है वो,
इजाज़त जो दीं है उसने आज,
कर ली मोहब्बत अल्फाजों से तुम में,
अल्फाजों का है लम्बा सलाम,
मोहब्बत की है हमने अल्फाजों से,
अल्फाजों का है ये लम्बा सफ़र,
ये अल्फाज़ जो है हम दोनो के बीच,
मोहब्बत है हमको इनसे इन्तेहा,
देते ये साथ मेरा,
जिन्दगी की हर राह पर,
बेरहम नही कोई इस जहाँ में,
प्यारे है लोग सारे यहाँ,
जन्मों में क्या रखा है,
आत्माओं का मिलान हो गया जो आज,
सदिया गुजरी पहले कितनी,
सदिया चाहे गुजरे जितनी,
आत्माओं का मिलान हो गया जो आज,
सदियों से सदियों तक,
मोहब्बत नही मरती है आज.
Friday, August 24, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment