Wednesday, August 22, 2007

ग़ज़ल

लबों में छाये हुए खामोशी का ,
जमाना गुज़र गया,
खिजा के गम में मौसम,
सुहाना गुजर गया।

आंखों से पीकर किस,
मोड़ पे आ पंहुचा हूँ,
रस्ते में पीछे कहॉ,
म्यखाना गुजर गया।

हर तरफ शोर उठा,
दुहाई सी मच गयी,
जब शमा के करीब से ,
परवाना गुजर गया।

कह कहए लगाए लोगों ने,
मुझे बेहाल देखकर,
कहने लगे देखो,
दीवाना गुजर गया।

दर्द जब भी उठा,
दिल में तेरे नाम का,
आंखों के सामने एक,
अफसाना सा गुजर गया।

इस जिंदगी में अगर,
तुमसे होगा समाना कभी,
समझा लेंगे इस दिल को,
अंजना गुजर गया।

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