Wednesday, August 22, 2007

ख्वाब

ख़्वाबों को पूरा करने का ख्वाब है
बन हंसी तेरे लबों पर रहने का ख्वाब है,
सिमट जाऊँगा कभी आगोश में तेरे,
ख्वाब को हकीकत करने का ख्वाब है,
ना बचा सका दामन कोई समेट कर,
जब हाथों में थाम इश्क ने दामन,
बन बारिश की वो ठण्डी बूँदें,
बरस गया इश्क सब कुछ दे जाने को,
क्या करेगा आज़माइश इश्क के कैसे कोई,
तकदीर में लिख दिया जो भी खुदा ने,
ख्वाब भी बन गए जायेंगे हकीकत,
चाह ले तू जो दिल के जोश से,
आएगी ना मौत भी मेरी चौखट पर,
तेरे इश्क में जब तक महफूज़ हूँ,
जिन्दगी में है बाहारें कुछ ऐसे,
ख्वाब भी जैसे सच पर सवार हैं,
सोच भी सकते हैं कैसे जीं ले तुझ बिन,
मार कर मिट चुके तुझमे ऐसे इन्सान हैं,
ख्वाब तो खिल गए है सुर्ख गुलाब से,
बाग्दोरे जीवन कि अब तो तेरे नाम है...

1 comment:

उन्मुक्त said...

अरे रोमन में क्यों शुरू हो गये - देवनागरी में ही लिखिये :-)