Tuesday, August 16, 2016

आज जब मैं वर्तमान में था
पर ध्यान भविष्य में था
भविष्य जो अभी है ही नहीं
भविष्य जो आना है अभी ,
बस पूरा ध्यान, पूरा ज्ञान
उसी पर है लगा , पर क्या
भविष्य होगा वैसा ही जैसा
हम गुन रहे हैं अभी ,भविष्य
तो फंसा है वक़्त के हाथों कहीं
उसे तो होना ही है वैसा ,वक़्त
चाहेगा उसे जैसा ही ,पर हम
भविष्य के चक्कर में ,जो हमारे
हाथों में है ही नहीं , खो रहे हम
उस पल को भी जिसमें बदल सकते
थे , वक़्त को भी हम , जी नहीं पा
रहे वर्तमान को एक पल , और
उलझे पड़े भविष्य के जाल में
और खोते जा रहे वर्तमान का हर पल

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