Tuesday, August 16, 2016

महफ़िल में हँसाना मेरा मिज़ाज़ बन गए,
तन्हाई में रोना एक राज़ बन गए,
दिल के दर्द को चेहरे से ज़ाहिर न होने दिया,
यही मेरे जीने का अंदाज़ बन गए।

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