Beautiful Poem written by Gurudev Ravindra Nath Tagore
जहाँ उड़ता फिरे मन बेख़ौफ़ ,
और सिर हो शान से उठा हुआ,
जहाँ इल्म हो सबके लिए बेरोकटोक,
बिना शर्त रखा हुआ,
जहाँ घर की चौखट सी,
छोटी सरहदों में न बाँटा हो जहाँ,
जहाँ सच से सराबोर हो हर बयां,
जहाँ बाजुएं बिना थके लगी रहे,
कुछ मुकम्मल तराशने।
जहाँ सही सोच को धुंधला न पाएं,
उदास मुर्दा रवायतें।
जहाँ दिलो दिमाग तलाशे,
नए ख्याल और उन्हें अंजाम दें,
ऐसी आज़ादी के जन्नत में,
ऐ खुदा, मेरे वतन की हो नयी सुबह ।
जय हिंद, जय भारत।।।
जहाँ उड़ता फिरे मन बेख़ौफ़ ,
और सिर हो शान से उठा हुआ,
जहाँ इल्म हो सबके लिए बेरोकटोक,
बिना शर्त रखा हुआ,
जहाँ घर की चौखट सी,
छोटी सरहदों में न बाँटा हो जहाँ,
जहाँ सच से सराबोर हो हर बयां,
जहाँ बाजुएं बिना थके लगी रहे,
कुछ मुकम्मल तराशने।
जहाँ सही सोच को धुंधला न पाएं,
उदास मुर्दा रवायतें।
जहाँ दिलो दिमाग तलाशे,
नए ख्याल और उन्हें अंजाम दें,
ऐसी आज़ादी के जन्नत में,
ऐ खुदा, मेरे वतन की हो नयी सुबह ।
जय हिंद, जय भारत।।।
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