Tuesday, August 16, 2016

हरिवंशराय बच्चनजी की सुन्दर कविता

अगर बिकी तेरी दोस्ती
तो पहले ख़रीददार हम होंगे ...

तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत
पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे

दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है
दोस्त ना हो तो महफिल भी श्मशान है

सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे दोस्त
वरना जनाजा और बारात एक ही समान है

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