Tuesday, August 16, 2016

मेरे शहर मे अगर तुम जाओ, मेरा इतना सा काम कर देना
मेरे घर के चौबारे में कंगूरो पर देखना,
हो सकता है दरवाजे की चौखटों पर टंगा होगा
या फिर किसी आले में धूल से सना होगा,
या शायद किसी पतंग की डोर के गुच्छे में उलझा हो,
नहीं तो देखना तालाब के मुहाने से पत्थर फैंकता होगा
ढूंढना सड़क के नीचे कुचली हुई कच्ची पगडंडियो पर,
अगर फिर भी ना मिले कहीं तो मां की गोद में होगा
या पिताजी की उंगली पकड़ कर टहलता होगा
मेरा बचपन कहीं मिले तो बस इतना सा कह देना
मै इतना जानता हूं तुम फिर कभी ना लौटोगे
पर कहना कि मै तुझे भूला नहीं हूं

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